नमस्कार ।आप सभी का हमारे हिंदी ब्लॉग पूनम एक प्रेरणा में स्वागत है।बिहार में भूमि सर्वे के बीच पटना हाई कोर्ट ने जामबंदी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आईये जानते हैं की जमाबंदी को लेकर क्या है यह फैसला? दरअसल जमाबंदी और अतिक्रमण को लेकर पटना हाईकोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।पटना हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर किसी जमीन की जमाबंदी रैयत यानी भू-स्वामी के पास है तो फिर सरकार उस जमीन पर अतिक्रमण का केस नहीं बना सकती है।बिहार में चल रही जमीन सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया के बीच पटना हाई कोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने अपने एक फैसले में यह तय किया है कि जिस जमीन पर रैयत की जमाबंदी कायम है, उस पर बिहार लोक भूमि अतिक्रमण कानून के तहत मुकदमा चलाना कानूनन गलत है। हाई कोर्ट के जस्टिस श्री मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने प्रेमचंद्र झा की रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।दरअसल, यह मामला मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड स्थित मानपुर ,गैबीपुर पंचायत का है जिसमें आवेदक की रैयती जमीन पर बेनीपट्टी के अंचलाधिकारी ने अतिक्रमण वाद चलाने के लिए नोटिस जारी किया था। उसमें दावा किया गया कि यह जमीन सरकारी है। इसके बाद जमीन मालिक की ओर से अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।आवेदक के वकील श्री जितेंद्र किशोर वर्मा ने कोर्ट को बताया कि यह जमीन खातियानी है। उसके पूर्वज के नाम से जमीन की जमाबंदी कायम है। बिहार सरकार उस जमीन का लगान भी वसूलती है। ऐसे में वह जमीन सरकारी कैसे हो सकती है। अतः आपलोगों के लिए यह एक बहुत ही अच्छी खबर है।यह फैसला उन रैयतों के लिए शुभ सगुण बनकर आया है जो सर्वे को लेकर डरे हुए हैं। अगर जमाबंदी रैयत के नाम से है ओर रैयत लगान भी भर रहा है तो सरकार उस जमीन पर अतिक्रमण का केस नहीं कर सकती है।उस जमीन से आप को बेदखल नहीं कर सकती है।
बिहार भूमि सर्वे : पटना हाई कोर्ट का अहम फैसला,रैयत के नाम जमाबंदी है तो जमीन पर अतिक्रमण कैसे?
byPunam
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