बचपन का वो सबसे प्यारा ड्रेस ,
बड़े घेर वाला मेरा मखमली फ्रॉक,
जिसे पहन कर गोल गोल घूमना,
रेशमी एहसास से इतराया करना,
मैं कोई राजकुमारी से कम ना थी
अपने पापा की लाडली राजकुमारी
उस दिन किसी बात पर थी मैं नाराज
नाराजगी में सारे काम छोड़ देती
पर स्कूल जाना भूलती नहीं थी खास
स्कूल मेरा मुझे था बहुत पसंद
सो चल पड़ी अपनी मनपसंद ड्रेस में
झूमती हुई अपनी पसंद की जगह
बिना किसी को बताए चल पड़ी पैदल ही
पढ़ने के लिए, बहुत आगे बढ़ने के लिए
पापा हमें साइकिल से थे स्कूल छोड़ा करते
घर में ना पाकर चल पड़े थे मुझे वे खोजने
साथ में रख ली थी अपनी मेरी स्कूल की ड्रेस
जैसे ही पहुँची गेट पर गार्ड ने दिया रोक मुझे
बिना यूनिफॉर्म इजाजत नहीं अंदर जाने की
थी मुझे उसने ऐसी तुगलकी फरमान सुनाई
उसी समय पीछे से प्यार भरी एक आवाज थी आई🌷🌷मेरी राजकुमारी🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
मुड़ कर देखा जब मैंने पापा थे लिए स्कूल ड्रेस खड़े
स्कूल गेट के सामने ही उन्होंने ड्रेस था मेरा बदला बड़े प्यार से गले लगाकर बाल भी सवांरे थे मेंरे
सीने से अपनी लगाकर चॉकलेट था मुझे पकड़ाया
था मुझे भरोसा अपनी राजकुमारी पर इतना
गुस्से में भी वो कभी लक्ष्य से नहीं विमुख होगी
मान मेरा बढ़ाने की खातिर वो स्कूल ही गई होगी
फिर मेरे माथे को था चूमा और मैं शहजादी बन गई ,परियों सी निखरी थी मैं आसमान में उड़ गई