आर टी आई से सवाल क्या पूछे
वो हाई कोर्ट का रूख कर गये।
एक सच को जो जानना चाहा
वो सौ झूठ को सच कह गये।
झूठ को सच बनाने की राह में
सच को ही जिंदा दफन कर गये।
सच को जिंदा लाश बना डाला
चीखें कब्र से आएंगी वो भूल गये।
सत्ता प्रभुत्व पद की मादकता में
सच सरे बाजार नीलाम कर गये।
कुछ भी खरीदने का वहम रखने वाले
जो बिकाऊ नहीं उसका मोल कर गये।
प्रगाढ़ प्रताड़ना से सच को डिगा न सके
वो यंत्रणा की तासीर को बढ़ाते चले गये।
सत्य परेशान हो सकता है पराजीत नहीं
चालबाजियों से इसे ही वो सिद्ध कर गये।