"ॐ शांति "कभी देते थे चिर शान्ति ये पवित्र शब्द
आज दर्द भरे हालात से हार गए ये अर्थहीन शब्द
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कभी अपनों के खोने पे मरहम लगाते थे ये दो शब्द
आज अपनों के खोने से चित्कार उठे हैं ये मूक शब्द
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हर दिन दिल घबराया करता है,पता नहीं कल हममे से कौन ना रहे,किसके लिए निकले ये दर्द हीन शब्द
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कैसे कहुँ कि ईश्वर इस दुःख को सहने की शक्ति दे
अब तो काठ मारने से हो गए हैं ये भी निःशब्द शब्द
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अपने झूठे अहम का दम्भ भरता रहा इंसान हर पल
बेबसी का एहसास हुआ जब कहे गए ये शांति शब्द
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जिंदगी एक अविराम गति है बेसकीमती साँसों की
विराम तब ही लगा जब चल पड़े ये गतिहीन शब्द
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दया करो प्रभु हमारी गलतियों को माफ भी कर दो
अब हृदय वेदना बढ़ाने लगे हैं ये शान्ति स्वरूप शब्द
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