ऊधो मन माने की बात

चाहे हम किसी भी धर्म के उपासक हों, चाहे हम आस्तिक हों या नास्तिक, चाहे विज्ञान कितना भी तरक्की क्यों न कर ले, हम सबके जीवन में कभी ना कभी ऐसा पल आता है जब सारी तर्क शक्ति ,सारा विज्ञान फेल हो जाता है और किसी अदृश्य शक्ति के होने का एहसास बलशाली हो उठता है जिससे ये दुनिया नियंत्रित होती है।
मनुष्य के रूप में हम सिर्फ कठपुतली की भांति जीवन के रंगमंच पर अपना किरदार निभा रहे होते हैं।
जिंदगी के सफर में अनजान लंबे रास्ते पर चलते हुए  कई बार जब सामने घनघोर अंधेरा छा जाता है ,रास्ते का पता नहीं चल पाता है कि किस तरफ जाना है ,ऐसा लगता कि सब कुछ खत्म होने वाला है ऐसे में हर बार कोई अदृश्य शक्ति माध्यम बन कर सामने आती और धूप अँधेरे गहरे कुएं से हाथ बढ़ा बाहर खींच ले जाती है ,सारी धुंध छट जाती है और सामने होता बिल्कुल साफ मंजिल की ओर जाता आसान रास्ता।
ये एहसास है हमारे उस सुदृढ़ विश्वास का कि "ईश्वर हर परिस्थिति में हमारे साथ है।"
यह हमारा अपने आराध्य में अटूट विश्वास, श्रद्धा एवं आस्था है कि"ईश्वर हमेशा हमारे साथ है।"
विज्ञान की दृष्टि से हमने तर्कों की कसौटी पर जीवन को परखा है।अतः इतना सहज भी नहीं होता है किसी भी ईश्वरीय शक्ति के भौतिक स्वरूप को स्वीकार करना। हाँ इतना अवश्य है कि ईश्वर रूपी कोई अदृश्य शक्ति है और जब कभी सच्चे मन से,लगन से किसी ने ईश्वर को याद किया उन्होंने हर बार रूप बदल कर एक आम आदमी के रूप में उसकी मदद की, उसका मार्ग प्रशस्त किया और उसके मानस पटल पर सुकून की सुखद अनुभूति के रूप में छाए रहे।
कई बार तो ईश्वर ऐसा माध्यम बनात है कि जिस व्यक्ति से हम आज तक मिले भी नहीं , वो शख्स हमारे सामने हो तो शायद हम उसे पहचान भी ना सके, वह व्यक्ति हमें भंवर से बाहर निकालता है, जीवन के अंधेरे रास्ते  में राह दिखाकर सकुशल मंजिल तक पहुँचाता है।
ये सिर्फ हमारे आराध्य के आदेश से ही संभव हो पाता है।
ईश्वर में आस्था और धर्म तर्क का विषय नहीं होता है।
यह तो बस इस तरह है कि "उद्धो मन माने की बात''।
नमस्कार🙏


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